वेद, पुराण, रामायण, महाभारत जैसे हिन्दू धर्मग्रंथों में कई पौराणिक कथाऍ वर्णित है। इन कथाओ से हमें जीवन जीने की सीख और धर्म-अधर्म का उपदेश मिलता है ।
रामायण में श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता और हनुमानजी
के सभी पात्रों से हम सब परिचित हैं। रामायण में हर
रिश्ते के महत्व को बताया गया है लेकिन,
भगवान श्रीराम की एक बहन भी थीं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा।
राम की बहन - शांता
राजा दशरथ और रानी कौशल्या की पहली संतान एक
पुत्री थी । जिसका नाम शांता था। शांता रामचंद्रजी की बड़ी बहन थी। पुराणों के मुताबिक, शांता अत्यंत ही गुणवान और बुद्धिमती थी। माना जाता है कि शांता को, कौशल्या की बड़ी बहन वार्शिनी और उनके पति रोमपद ने गोद लिया था। कई लोगों का मानना है कि
वार्शिनी की कोई संतान नहीं थी, और उन्होंने शांता को गोद लेना चाहा था, और प्राण जाए पर वचन नया जाए इसी
लिए सूर्यवंशी राजा दशरथ ने उन्हें अपनी बेटी सौंप दी।
भगवान श्रीराम की बड़ी बहन शांता का विवाह
ऋषि शृंगी से हुआ था । शृंगी ऋषि रामायण काल के महान ऋषि थे। शृंगीऋषि विभांडकऋषि के पुत्र और कश्यप ऋषि के पौत्र थे। शांता के बाद महाराज राजा दशरथ की कोई संतान नहीं हो रही थी। वे चाहते थे, उनके वहा एक पुत्र हो जो उनका राजवंश आगे बढ़ाए। जिसके लिए उन्होंने अपने गुरु और मंत्री सुमंत के कहने पर ऋषि श्रृंगी को पुत्रकामेष्टि यज्ञ करने के लिए बुलाया। संत थे. अपने मंत्री ऋषि
शृंगी ने अपने तप के प्रभाव से पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। और इसके फलस्वरूप राजा दशरथ के घर भगवान राम समेत चार पुत्रों ने जन्म लिया था ।
देवी शांता का मंदिर
भारत में आज भी उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में ऋषि शृंगी का मंदिर है जहां ऋषि
शृंगी और राम की बहन शांता की पूजा की जाती है। हिमाचल में
कुल्लू से करीब 50 किलोमीटर दूर एक प्राचीन मंदिर है, जहां उनकी बहन शांता
की प्रतिदिन पूजा होती है। यह मंदिर आस्था
का एक बड़ा केंद्र है। मंदिर में न केवल स्थानीय लोग पूजा करने के लिए
आते हैं, बल्कि देशभर से श्रद्धालु यहां आते रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कि जो कोई भी
इस मंदिर में पूरी श्रद्धा से प्रार्थना करता है, उसे देवी शांता के साथ श्रीरामजी का भी आशीर्वाद मिलता
है। यहां दशहरा का त्योहार बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है।
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