भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव अपने आपमें ही अनूठा होता है। ठीक उसी तरह भगवान श्री कृष्ण को जन्म के साथ लगाया जानेवाला पहला भोग भी बहोत ही खास होता है। धनिया, मिश्री और घी का यह अनुपम मिश्रण पंजीरी के नाम से जाना जाता है।
श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने गया हुआ हर व्यक्ति पंजीरी बिना चुके खाता है और सिर्फ खाता नहीं बड़े मजे लेकर खाता है। पंजीरी भगवान् का प्रसाद है इसलिए सबको बहोत पसंद है। आज आइए जानते है की मंदिर के प्रसाद में बाँटी जाने वाली पंजीरी कैसे बनती है।
जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान की निशीथ काल की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान श्री हरी विष्णु श्री कृष्ण के रूप में अष्टमी की रात १२ बजे प्रगट हुए थे। इसी लिए रात को भक्तगण भगवान की विशेष पूजा करते है। पूजा के उपरांत भगवान को प्रसाद भी चढ़ाते है। बाल गोपाल को प्रसाद में मक्खन, मिश्री, मेवे, फल, पंचामृत, मिठाईया आदि का भोग लगता है। । लेकिन एक अन्य सामग्री भी है जो जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान के भोग में अवश्य होती है। भगवान कृष्णा को धनिया की पंजीरी का विशेष भोग जन्माष्टमी पर लगाया जाता है। माता देवकी और माता यशोदा को प्रणाम करके बनायीं जाने वाली यह पंजीरी जन्माष्टमी और राधाष्टमी पर विशेष रूप से तैयार की जाती है।
भगवान् श्री कृष्ण को चढ़ाया जाने वाला पहला भोग पंजीरी बहोत खास है... आइए जानते है कैसे बनती है मंदिर जैसी पंजीरी
पंजीरी बनाने की सामग्री :
धनिया - १ कप
मिश्री (पीसी हुई ) १ कप
घी - ३ चम्मच
काजू - १ चम्मच
बादाम -१ चम्मच
पिस्ता - १ चम्मच
किशमिश - १ चम्मच
नारियल (कद्दूकश किया हुआ) - ४ चम्मच
छोटी इलाइची - ३
काली मिर्चे - आधा छोटा चम्मच
सोंठ पाउडर - १ चम्मच
तुलसी पत्र -५
पंजीरी सजाने के लिए गुलाब की पंखुडिया
पंजीरी बनाने की विधि :
काजू, बादाम, पिस्ता और किशमिश को छोटे छोटे टुकड़ो में काट लीजिये।
एक कड़ाई गरम करे और फिर गैस बंध कर ले। उस गरम कढ़ाई में ही धनिया और काली मिर्च डाल कर ५ मिनट तक भुन ले। याद रखे गैस चालू नहीं करना है।
मिक्सी का जार लेके उसमे भुने हुए धनिया और काली मिर्च और छोटी इलाइची डालकर पीस ले।
पिसे हुए मिश्रण को निकालकर उसमे कटे हुए काजू, बादाम , पिस्ते, किशमिश और कद्दूकश किया हुआ सूखा नारियल डाल दे और उसमे सोंठ पाउडर और मिश्री दाल कर अच्छे से मिला लीजिये।
अंत में उसमे घी डालकर मिलाइए और गुलाब की पंखुड़ियों से सजाकर कान्हाजी को भोग लगाइये। भोग लगाते समय तुलसीपत्र रखना मत भूलिए ।
श्री कृष्ण के माखन प्रेम को तो हम सब जानते ही है। नन्हे से बाल गोपाल माता यशोदा तथा गोपियों के द्वारा बनाये गए माखन को बड़े ही चाव से खाते थे।
इतना ही नहीं गोपियों के घरे से माखन की चोरी कर के अपने मित्रों को भी खिलाते थे। इसी लिए तो उन्हें माखन चोर कहा जाता है। तब से लेकर भगवान श्री कृष्ण के भक्त उन्हें मख्हन का भोग अवश्य लगाते है। हररोज प्रभुजी के प्रसाद में कुछ हो न हो माखन मिश्री तो अवश्य होते ही है। लेकिन जन्माष्टमी पर माखन मिश्री के आलावा एक और सामग्री है जिसका भोग कृष्णाजी को अवश्य लगता ही है। और वो है पंजीरी
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